बेवफा रास्ते बदलते हैं
हम सफर साथ साथ चलते हैं
किसके आंसू छुपे है फूलों में
चूमता हूँ तो होठ जलते है
उसकी आँखों को गौर से देखो
मंदिरों में चराग जलते हैं
एक दीवार वो भी शीशे की
दो बदन पास पास जलते हैं
कांच के, मोतियों के, आंसू के
सब खिलौने गजल में ढलते हैं
किसी की याद में पलकें जरा भिगो लेते
उदास रात की तन्हाइयों में रो लेते
दुखो का बोझ अकेले नहीं संभलता है
कहीं वो मिलता तो उससे लिपट के रो लेते
तुम्हारी राह में शाखों पे फूल सूख गये
कभी हवा की तरह इस तरफ भी हो लेते
अगर सफर में हमारा भी हमसफ़र होता
बड़ी खुशी से इन पत्थरों पे सो लेते