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बेरोजगारी

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 पेड़ की छाँव सुरच्छित होती

ऐसे ही सुरच्छित मेरा करियर हो जाता



रात दिन बस दिए जलाता भगवान को
की पूरे सारे अरमान हो जाते
इधर-उधर की भागदौड़ में हासिल मुझको कुछ हो जाता
माँ-बाप की बच्चो पर छाँव सुरच्छित होती
ऐसा ही सुरच्छित मेरा करियर हो जाता
कैसे बेगाने हाल है मेरे
इस हाल में भी कभी बेहाल है मेरे
इस बेहाली दुनिया में एक दो जो पांव है रखते
वहाँ पे भी बस कांटे रहते
ऐसे काँटों से सुरच्छित मेरा चप्पल हो जाता
इस बेगानी दुनिया में सुरच्छित मेरा करियर हो जाता।
राहो पे बस चलते हुए एक ही बात सताती है
बेरोजगारी की सुई मुझे बार-बार चुभाती है
कुछ करने को जी करता है
पर मज़बूरी के कुछ हाथ मेरे पथ के आड़े आती है।
इन्ही सब बातो को लेकर चिंता मुझे सताती है
चिंताओं में डुबकर किसी का कुछ न जाता है
मेरा ही सब जाता है कुछ समझ नहीं आता है।
चिंताओं में आस की एक बूंद के हौसले से सास मेरे सुरच्छित हो जाते।
जैसे पेड़ की छाँव होती….
ऐसे ही सुरच्छित मेरा…
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