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उम्मीद की किरण

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 उम्मीद की किरण नजर आती नहीं

जब रास्ता कोई दिखलाता नहीं।



पीछे छूट गया  जो रास्ता

उसे  पीछे मुड़कर देखा जाता नहीं।

आता नहीं है मुझको कुछ भी

फिर भी पथ पर आगे  बढ़ता रहता

कभी न रुकता चलता रहता।

क्या रखा है भूतकाल  मे

भविष्य कॉल की सोच-सोच के

वर्तमान में कदम रखा है।

दम भरते मंजिल की आहट जगाती रही

असफलता मुझे सताती रही।

काम की नौबत  ऐसी आती रही

कुछ और बात युहि बताती रही ।

उम्मीद की किरण नजर आती  नहीं  

जब  रास्ता कोई  दिखलाता नहीं।

जिस डगर चला उस डगर  कभी चला नहीं

 किस उम्मीद पर टिकी हैं। पूरी दुनिया 

ये रव्याल कभी मन में पला नहीं

जिस पल हर कदम चला गली

वहाँ पर फिर भी  कुछ मिला नहीं।

उम्मीद……….

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